Bodhi kaki premchand biography


बूढ़ी काकी कहानी प्रेमचंद का सारांश उद्देश्य चरित्र चित्रण प्रश्न उत्तर

बूढ़ी काकी कहानी की पात्र रूपा का चरित्र चित्रण

कोठरी में बैठते हुए दम घुटता था ? अभी मेहमानों ने नहीं खाया, भगवान को भोग नहीं लगा, तब तक धैर्य नहीं हो सका ? आकर छाती पर सवार हो गई। जल जाए ऐसी जीभ । दिन-भर खाती न होती तो न जाने किस हाँडी में मुँह डालती ? तुम कोई देवी नहीं हो कि चाहे किसी के मुँह में पानी न जाए, परन्तु तुम्हारी पूजा पहले हो जाए।"
उसने सच्चे हृदय से गगन -मंडल की ओर हाथ उठाकर कहा- परमात्मा मेरे बच्चों पर दया करो। इस अधर्म का दंड मुझे मत दो, नहीं तो मेरा सत्यानाश हो जाएगा।
उसने सच्चे हृदय से अपनी गलतियों का पश्चाताप किया और ईश्वर से क्षमा मांगी। फिर उसने थाल सजाकर बूढ़ी काकी को भोजन कराया। उसी के शब्दों में देखिए- काकी उठो, भोजन कर लो मुझसे आज बड़ी भूल हुई, उसका बुरा न मानना । परमात्मा से प्रार्थना कर लेना कि वह मेरा अपराध क्षमा कर दे। 

अन्त में हम कह सकते हैं कि रूपा इस कहानी में बूढ़ी काकी के बाद दूसरा प्रमुख पात्र है । वह पति-परायण घर के काम-काज में कुशल, स्वभाव की तेज व क्रोधी, स्वार्थपरता ओर अन्याय का पक्ष लेने वाली, अपनी गलतियों का पश्चाताप करने वाली, कठोर हृदय लेकिन बाद में सहानुभूतिपूर्ण, ईश्वर से डरने वाली महिला है।